आज कल निसंतान दंपत्ति की भरमार है कारण अधिक उम्र में विवाह करना या संतान देर से पैदा करने का निर्णय। इन्ही सब कारणों से ऐसे हालात हो गए है कि दंपत्ति संतान के लिए चिकित्सकों के चक्कर काटते हैं। ऐसे निसंतान दंपत्ति के लिए आई वी एफ़ अंधकार में आस की किरण का कार्य करता है। मनो माँ अम्बे ने स्वयं ही आकर झोली भर दी हो।
आई वी एफ़ के जरिये युग्म संतानों का चलन भी खूब जोरों पर चल रहा है।
ज्योतिष के अनुसार निसंतान होने के कुछ योग
१. गर्भाशय
में टी बी
२. गर्भाशय
में छोटी- छोटी गांठ
३. फलोपियन
ट्यूब का बंद होना
४. गर्भाशय
का छोटा होना
५. अंडा
नार्मल न बनना
६. शुक्राणु
की कमी
स्त्री के लिए चंद्रमा गर्भ धारण शक्ति का परिचारक है। मंगल रक्त का एवं गुरु संतान प्रदायक ग्रह है अतः गर्भ धारण में चंद्र , मंगल एवं गुरु की भूमिका प्रमुख है।
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छटे
भाव में शनि व् षष्टेश हो तथा चन्द्रमा सप्तम भाव में हो तो स्त्री के गर्भाशय में रोग होता है।
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निर्बल
चन्द्रमा शनि या मंगल से युक्त या दृष्ट हो तो स्त्री को गर्भाशय के योग होते हैं।
·
यदि
पंचम भाव में मंगल तथा अष्ठम भाव में पाप गृह हो तो स्त्री का मासिक धर्म अनियमित होता है।
·
यदि
षष्ठेश शनि हो या षष्ठ भाव में शनि का नवमांश हो( (जन्म या नवमांश में सिंह या कन्या लगन हो) तब गर्भाशय में दोष होता है एवं अंड वाहिनी नलिकाओं में रूकावट होती है।
संलग्न कुंडली एक विवाहित महिला की है जिसकी योनि में व्याधि होने व् मासिक धर्म अनियमित होने से संतान उत्पन्न होने में कठिनाई आ रही थी। कुंडली का विस्तार पूर्वक अध्ययन करने से ये पता चला की पत्रिका में बाधा है, आइये
इस पर प्रकाश डालें -
जन्म तारीख 20-Nov-1980
जन्म समय 8:55 pm
जन्म स्थान जयपुर

लग्न मिथुन
पंचमेश शुक्र
राशि मेष
तिथि शुक्ल चतुर्दशी
योग वरीयान
·
सप्तम
भाव में मंगल का नवमांश है तथा सप्तमेश शनि से पीड़ित है।
अतः
इस जातिका की योनि में व्याधि होगी।
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यदि
मंगल जन्म इस नवांश में सप्तमेश ( जन्म या नवांश में वृषभ या तुला लग्न ) होतो
स्त्री
की योनि में व्याधि होती है तथा मासिक धर्म अनियमित होता है जिससे प्रजनन में कठिनाई आती है। जो की इस जातिका की पत्रिका में फलित हो रहा है।
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चंद्र
कुंडली से सूर्य पंचमेश हो कर अष्टम भाव में विराजमान है व् पंचम से पंचम मंगल बैठा है जो संतानहीनता का योग बना रहा हे।
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लग्नेश बुध
पंचम भाव में पंचमेश के साथ बैठा है जिसपर चन्द्रमा की पूर्ण दृष्टि है जो की बिना विलम्ब से संतान प्राप्ति का योग बनाता है परंतु अगर बारीकी से देखा जाये तो बुध स्वाति नक्षत्र
राहु
के नक्षत्र में है तथा पंचमेश शुक्र मंगल के नक्षत्र में है व् चन्द्रमा अश्वनी केतु के नक्षत्र में है जो विलम्ब से चिकत्सीय उपाय के बाद संतान प्राप्ति
का
योग बनाते हैं।
जातिका
का विवाह २००६ में हुआ था तथा संतान २०१४ में आई वी एफ ट्रीटमेंट
(इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन)के जरिये जुड़वा पुत्रों की
प्राप्ति हुयी।
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गर्भ
धारण के समय चंद्र - बुध - शुक्र की दशा चल रही थी फल दीपिका के अनुसार लग्नेश , सप्तमेश , पंचमेश या पंचम भाव को देखने वाले ग्रह में संतान की प्राप्ति होती है।
जो
कि कुंडली में फलित हो रहा है।
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जातिका
को संतान प्राप्ति के लिए गोपाल सहस्त्र नाम का पढ़ करने की सलाह दी गयी थी जिसके फलस्वरूप आज वो २ प्यारे बालको की माँ है।
ज्योतिषाचार्या
मौली दुबे

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